मुंबई में 12 हजार लोग बेघर, झूठ बोलकर खाली कराया गया था घर
मुंबई। मुंबई में नियमों में उलझकर 12 हजार लोग बेघर हो गए हैं। मामला कांदिवली और मलाड का है जहां पर 3 हजार परिवारों को बेहतर फ्लैट के नाम पर उनकी बिल्डिंग खाली कराई गई लेकिन उसके बाद ये मामला नियमों में ऐसा उलझा कि आज ये तीन हजार परिवार दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गया है सबसे दुखद पहलू ये है कि इनमें से ज्यादातर लोग सीनियर सिटीजन हैं और अपनी पूरी कमाई नए फ्लैट की उम्मीद में लगा दी।
कांदीवली और मलाड के 3 हजार परिवारों के सिर पर अब छत नहीं हैं। इन लोगों को एक ऐसा सपना दिखाया गया जिसके चलते अब 3 हजार परिवार सड़क पर हैं। इन परिवारों को 12 हजार लोग के पास रात गुजारने के लिए आशियाना नहीं हैं। इन्हें बेहतर घर का ऐसा सपना दिखाया गया जिसके चलते आज न इनके पास रहने के घर है और न ही किराया देने के लिए पैसे। उम्र के इस पड़ाव में घर से बेघर होना वैसे भी तकलीफदेह होता है और अगर जब शहर मुंबई हो तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं क्योंकि यहां पर एक आशियाना बनाने में जिंदगी बीत जाती है। पिछले दो साल से बेघर इन लोगों की बेबसी इतनी बढ़ गई है कि अब सरकार से इंसाफ मांगने की जगह जहर मांग रहे हैं
दरअसल यहां की कई बिल्डिंगों को बिल्डर्स ने री-डेवलेपमेंट के नाम पर मालिकों से खाली कराया। उसके बदले उन्हें अगले दो साल तक किराया देने का वादा भी किया गया। यही नहीं टावर जल्दी खड़े करने के चक्कर में बिना नियमों को ध्यान दिए बिल्डरों ने पुरानी बिल्डिंगों को गिरा भी दिया लेकिन जब उसकी जगह नए टावर खड़े करने की बात आई तो नियम आड़े आ गए जिन इलाकों में ये बिल्डिंग गिराई गईं हैं वो सीओडी यानि सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो के क्षेत्र में आते हैं और नियमों के मुताबिक सीओडी के आस पास के 500 मीटर के दायरे में बिना इजाजत ऊंची बिल्डिंग नहीं बनाई जा सकती हैं तब से लेकर अब तक यहां पर काम शुरू नहीं हो सका है और खामियाजा यहां के लोगों को उठाना पड़ रहा है।
पीड़ितों के साथ साथ बिल्डरों ने सरकार से लेकर रक्षामंत्रालय तक गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शुरु में तो एक साल बिल्डरों ने इस आस में मकान मालिकों को किराया दिया कि सरकार हल निकाल देगी लेकिन अब उनकी भी