समंदर में हार से बौखलाया चीन, दक्षिण चीन सागर पर कब्जे के लिए उतारी सेना
Posted on: July 17, 2016 09:19 PM IST
आईबीएन-7
नई दिल्ली। दक्षिणी चीन सागर के विवाद पर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को चीन स्वीकार नहीं कर पा रहा है, लेकिन चीन फिर भी अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को मानने को तैयार नहीं है। अब दक्षिण चीन सागर पर नाजायज कब्जा करने की कोशिश में उसने अपनी सेना को उतार दिया है। पहले कृत्रिम टापू मिसाइल प्रणाली लगाई तो अब उसके मरीन कमांडो और टैंक ने इस इलाके में अपनी धमक दिखाकर ताइवान और फिलीपींस समेत अमेरिका तक को युद्ध की धमकी दी है। वो ये भी साफ कर चुका है कि अगर दक्षिणी चीन सागर में किसी और देश ने घुसने की कोशिश की तो उसके अंजाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
चीन ने साफ कर दिया है कि ये सिर्फ धमकी नहीं है और ये अंजाम कितना खतरनाक हो सकता है इसी को दिखाने के लिए चीन ने पिछले तीन दिनों तक दक्षिणी चीन सागर के गॉन्गडॉन्ग इलाके युद्धाभ्यास से बहाने अपनी ताकत भी दिखाई है। चीन ने एक तरह से दक्षिणी चीनी सागर से सटे ताइवान और फिलीपींस समेत दूसरे देशों को धमकी दी है कि अगर किसी ने उसके अधिकार वाले क्षेत्र में घुसने की कोशिश की तो उसका अंजाम सिर्फ युद्ध होगा।
ड्रैगन ने अपनी मरीन आर्मी को दक्षिणी चीन सागर से सटे इस इलाके में उतार कर ये भी दिखाने की कोशिश की है कि उसके पास इतनी ताकत है कि वो किसी भी द्वीप पर चंद घंटों में कब्जा कर सकता है। साथ ही किसी के मंसूबे को ध्वस्त कर सकता है। इसी के साथ चीन ने समुद्र में चलने में सक्षम अपने टैंक और दूसरे युद्धपोतों के सहारे ये भी बता दिया है कि अगर किसी देश ने इस तरह की हिमाकत की तो उसका अंजाम क्या हो सकता है।
टैंक और दूसरे बख्तरबंद वाहनों के अलावा इस युद्धाभ्यास में चीन ने अपनी मरीन आर्मी की भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है। चीन का संदेश साफ है कि उसके मरीन कमांडो पूरी तरह से किसी को भी करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं, फिर वो चाहे फिलीपींस हो या जापान, अमेरिका। दरअसल चीन की दंबगई इतनी है कि वो न किसी भी अंतर्राष्ट्रीय कानून को नहीं मानना चाहता है।
वहीं दस लाख वर्ग किलोमीटर इलाके में फैले दक्षिण चीन समुद्री पर अपना झंडा गाड़ने के लिए उसने क्या कुछ नहीं किया, समुद्र की सतह से बालू निकाल कर नकली टापू बनाए, टापुओं पर हवाई पट्टी बनाई, मिसाइलें तैनात कर दीं। हालांकि कोर्ट के फैसले के बादसेना की ताकत दिखाकर दुनिया को डराने की कोशिश कर रहा है।
बता दें कि दक्षिण चीन सागर विवाद को लेकर हेग अदालत में साल 2013 से सुनवाई चल रही है लेकिन चीन एक बार भी पेश नहीं हुआ। अपनी सैन्य ताकत के बल पर वो दक्षिण चीन सागर से नहीं हटेगा और न ही किसी को घुसने देगा और जब हेग अदालत का फैसला आया तो उसने इसे कागज की बर्बादी करार दे दिया। जिस कॉन्फ्रेंस ऑफ लॉ ऑफ सी के आधार पर ये फैसला चीन के खिलाफ गया है उस कानून को खुद चीन ने फिलीपींस के साथ 1982 में स्वीकार किया था, लेकिन अब अपनी बात से मुकर रहा है।
हेग अदालत के फैसले के बाद अमेरिका और दूसरे देशों ने चीन से कहा था कि वो अंतर्राष्ट्रीय फैसले को स्वीकार करे, लेकिन चीन ने अब इस इलाके में युद्धाभ्यास करके साफ कर दिया है कि वो किसी की बात मानने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी तरफ ताइवान भी आक्रमक रुख में आ गया और उसने भी अपना युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दिया है, जबकि फिलीपींस और जापान भी अमेरिका के दबाव के जरिए चीन से ये फैसला मनवाना चाहते हैं।
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